Friday, September 25, 2009
आज नवरात्र की अष्टमी का दिन है | पहले तो मेरे सभी दोस्तों को अष्टमी की हार्दिक बधाई | आज नवरात्र की अष्टमी आ गई और सिवाए शोर सराबे के कुछ भी ख़ास नही हुवा | आप सोच रहे होंगे की मैं ये क्या लिख रहा हूँ ??? पर मैं क्या करूं ये सच है | मुझे याद है की हमारे इस छोटे से शहर पेन्ड्रा में कभी ये नवरात्र इतनी धूम धाम से मनाई जाती थी की हमें आपने रिश्तेदारो और परचितो को बताने में गर्व महसूस होता था | भले ही उस समय २ या ३ जगह ही दुर्गोत्सव समिति के द्वारा दुर्गा पंडाल सजाये जाते थे | पर आज की स्थिति बिल्कुल उलट हों गई है | आज हर गली मोहल्लो में कुकुरमुत्ते की तरह दुर्गोत्सव समिति बन रही है, कोई ३ दिन के लिए तो कोई ९ दिन के लिए | अब आप ही बताये की ऐसे में कोई छोटे से शहर में कोई कितना बड़ा आयोजन कर सकता है ? जो बड़ी दुर्गोत्सव समितिया है वो तो इन्ही की वजह से घाटे में चल रही है | क्योकि जो चंदा इन्हे मिलता था वो अब इन सब में बट रहा है | ये न जाने क्यो हर व्यक्ति अपने आप को सामजिक या राजनितिक पहचान दिलाने के लिए शहर के धार्मिक कार्यो को अपना हथियार बना लेते है |यदि यही लोग मिल कर २ या ३ पंडालों पर ही कार्यक्रम कराये तो फ़िर से वही भव्य कार्यक्रम हो सकते है जो इन स्वार्थी लोगो की वजह से कही खो गए है | सभी को आपसी सामंजस्य बैठा कर इस दिसा में कार्य करना चाहिए | तभी सब लोग आनंद के साथ नवरात्र का सही मजा ले पायेंगे |मैं इस ब्लॉग के जरिये ही सही पर अपने नगर के वाशियों से ये अनुरोध करूँगा की कृपया इस विसये पर गंभीरता से सोचे और इस पर कोई सकारात्मक पहल करे यदि मेरे किसी सुझाव में आप कोई परिवर्तन चाहे तो कृपया जरूर लिखे आप के सुझाव का स्वागत है........
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बहुत सुन्दर नवीन भाई. सराहनीय कार्य कर रहे हैं आप. निरंतर रहें और ब्लाग से संबंधित तकनीकि पोस्टों का अध्ययन कर अपने ब्लाग को अद्यनत करते रहें.
ReplyDeleteस्वागत. आपका ब्लाग छत्तीसगढ ब्लागर्स चौपाल में जोड दिया गया है. हैप्पी ब्लागिंग.
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